राजनीतिक दलों की नींव होते हैं कार्यकर्ता। नींव मजबूत होती है तो राजनीतिक दल भी मजबूत होते हैं और चुनाव जीतने मेें आसानी होती है।यह कार्यकर्ता ही होते हैं जो राजनीतिक दल की चुनाव में जीत सुनिश्चित करते हैं। राजनीतिक दल कोई भी हो उसके कार्यकर्ताओं का अपने नेताओं, सरकार व उसके मंत्रियों से संतुष्ट रहना जरूरी होता है। कार्यकर्ता संतुष्ट रहते हैं तो ही अगले चुनाव में पार्टी की जीत की संभावना ज्यादा होती है। कार्यकर्ता संतुष्ट तब होते हैं जब उनकी बात पार्टी के भीतर पदाधिकारी व सरकार के मंत्री सुनते हैंं।वह जैसा चाहते हैं वैसा उनके इलाके में होता है। वह समस्या लेकर जाते हैं तो समस्या का समाधान होता है, वह कोई काम लेकर जाते हैं, उनका काम प्राथमिकता से किया जाता है।
राज्य में भाजपा की सरकार बने कई महीनें हो गए हैं,कार्यकर्ताओ व नेताओं की बात सुनने के लिए कोई स्थायी व्यवस्था नहीं की गई थी। इससे भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं को यह दिक्कत हो रही थी कि वह अपनी बात किससे कहें, अपनी शिकायत किससे करें, अपनी समस्या के समाधान के लिए किसके पास जाएं। उनको अपनी शिकायत व समस्या को लेकर कई नेताओं व मंत्रियों के घर चक्कर लगाने पड़ते थे और उनकी शिकायत पर कुछ होता नहीे था,समस्या का समाधान का आश्वासन जरूर मिलता था लेकिन समस्या का समाधान होता नहीं था।
राज्य में भाजपा संगठन व सरकार को ननकीराम कंवर के मामले के बाद लगा कि कोई वरिष्ठ नेता अपनी मांग को लेकर सीएम निवास के सामन धरना दे,इससे तो भाजपा की बदनामी होती है कि देखो भाजपा अपने वरिष्ट नेता की बात तक नहीं सुन रही है इसलिए पहले की तरह नेताओं व कार्यकर्ताओं की बात सुनने के लिए सहयोग केंद्र की व्यवस्था की जानी चाहिए। ननकी राम का मामला इतना तूल न पकड़ा होता तो सहयोग केंद्र खोलने की जरूरत ही न महसूस होती। ननकीराम की तरह भाजपा में बहुत से नेता व कार्यकर्ता रहे होंगे जिनकी बात कोई सुन नहीं रहा था। अब ननकीराम के कारण उन तमाम नेताओं कार्यकर्ताओं को सहयोग केंद्र खुल जाने से राहत मिलेगी वह सहयोग केंद्र जाकर कम से कम अपनी बात तो भाजपा नेताओं व सरकार के मंत्रियों से कह सकेंगे। काम नहीं होने पर शिकायत तो कर सकेंगे।
भाजपा प्रदेश कार्यालय में 6 अक्टूबर से सहयोग केंद्र का शुुभारंभ मंत्री टंकराम वर्मा ने किया है। पहले ही दिन उनको सौ से अधिक आवेदन मिले। इस पर उन्होंने शिकायतो के निराकरण के लिए अफसरों को फोन किया और जिन शिकायतों का निवारण तत्काल नहीं हो सकता था,उसकी फाइल अपने साथ लेकर गए और कार्यकर्ताओं व नेताओं को भरोसा दिलाया कि उनकी समस्याओं का निराकरण किया जाएा। बताया जाता है कि पहले दिन ६० प्रतिशत से ज्यादा आवेदन राजस्व विभाग से संबंधित थे,३० प्रतिशत उच्च शिक्षा विभाग व १० प्रतिशत प्रकरण आपदा प्रबंधन के मुआवजे के थे। बताया जाता है कि मेडिकल में प्रवेश को लेकर कार्यकर्ताओं ने सरकार द्वारा दिए गए जांच के आदेश को जल्द से जल्द पूरा करने की मांग की तो मंत्री से अफसरों को सातदिन के भीतर जांच पूरी करने को कहा है।
कार्यकर्ताओं ने पटवारी पर भ्रष्टाचार करने व उस पर कार्रवाई करने का भी आवेदन दिया था। इस पर मंत्री ने प्रकरण की जांच कराने का आश्सासन दिया। कार्यकर्ताओं ने खैरागढ़ में कालेज खोलने के लिए आवेदन दिया तो मंत्री ने इस विषय पर चर्चा कर निर्णय लिए जाने का आश्वासन दिया।सहयोग केंद्र में रोज मंत्रियों के बैठने से अब नेताओं व कार्यकर्ताओं को मंत्री के घर नहीं जाना पड़ेगा।इससे नेताओं व कार्यकर्ताओं को परेशानी होती थी तो मंत्रियों को नेताओं व कार्यकर्ताओं की भीड़ से परेशानी होती थी। अब दोनो सहयोग केंद्र में मिल सकते है, नेता कार्यकर्ता अपनी बात कह सकते हैं और मंत्री आराम से सुनकर उसका निराकरण कर सकते हैं।
सहयोग केंद्र शुरू हो जाने से एक व्यवस्था तो बन गई है लेकिन इसी के साथ नेताओं व कार्यकर्ताओं की बात सुनकर भी उनका काम नहीं होगा तो इससे नेताओं व कार्यकर्ताओं में जो गुस्सा पैदा होगा उसके पार्टी को नुकसान होगा। अब तक तो गुस्सा यह होता था कि कोई हमारी बात सुन नहीं रहा है, अब सहयोग केंद्र खुल जाने के बाद काम नहीं हुआ तो गुस्सा इस बात का होगा कि हमारी बात सुनने के बाद हमारी समस्या का समाधान पार्टी व सरकार ने नहीं किया। इसलिए जब कार्यकर्ताओं के लिए आखिरकार पार्टी को सहयोग केंद्र शुरू करना पड़ा है तो कोशिश तो यही होनी चाहिए कि जितने लोग आते हैं सब सहयोग केंद्र से संतुष्ट होकर जाएँ। नेताओं व कार्यकर्ताओं को लगना चाहिए कि यदि उनके लिए सहयोग केंद्र खुला है तो पार्टी व सरकार उनके साथ सहयोग भी कर रही है।
कोई भी राजनीतिक दल तब ही मजबूत होता है,जब उसका संगठन बूथ लेवल तक मजबूत होता है। जब राजनीतिक दल बूथ लेवल पर वाकई मजबूत होता है तो ही राजनीतिक दल चुन...
हर क्षेत्र में बेहतर काम करने वालों को जनता पसंद करती है, उन पर गर्व करती है,उन पर भरोसा करती है, उनको बार बार सेवा व काम करने का मौका देती है।
राजनीति में आलाकमान जिसे बड़ा नेता मानता है, उसे जरूरत पड़ने पर बड़ी जिम्मेदारी भीे देता है।
किसी भी राजनीतिक दल का कार्यकर्ता हो या नेता हो या पूर्व मंत्री हो जब अपनी सरकार होती है तो सबको अपनी सरकार से इतनी तो अपेक्षा तो होती ही है कि वह ...
हर राजनीतिक दल में बड़े नेताओं के गुट होते हैं। हर बड़े राजनीतिक दल में गुटबाजी होती है।