राजनीति में आलाकमान जिसे बड़ा नेता मानता है, उसे जरूरत पड़ने पर बड़ी जिम्मेदारी भीे देता है। सवाल उठता है आलाकमान बड़ा नेता किसे मानता है,आलाकमान की नजर में बड़ा नेता वह होता है जो सीएम या किसी बड़ पद पर रहा हो, जिसने बड़े पद पर रहते हुए पार्टी के लिए ज्यादा और परिवार के लिए खासा पैसों का जुगाड़ किया हो, सौंपे गए काम को करने के लिए अपनी जेब से पैसा खर्च कर सकता हो। भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के बड़े नेता इसलिए हैं कि उन्होंने तीन चुनाव हारने वाली कांग्रेस को चौथे चुनाव में जिताया था। निरंतर चुनाव हार रही कांग्रेस को तब चुनाव जितना बहुत बड़ा काम आलाकमान ने माना था।
राजनीति में चुनाव लड़ना या लड़ाना बड़ा काम नहीं माना जाता है। राजनीति में चुनाव जिताना बड़ा काम माना जाता है।भूपेश बघेल एक चुनाव कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में जिता चुके हैं, छत्तीसगढ़ में आलाकमान ने उन्हें पांच साल सीएम भी बनाए रखा, इन पांच सालों में भूपेश बघेल ने वह सब काम किया जाे पद पर रहते हुए एक सीएम को पार्टी के लिए करना था। इस दौरान आलाकमान ने उनको जो भी करने को कहा, भूपेश बघेल वह करने को तैयार रहे। आलाकमान जब समझ रहा है कि यह नेता यह काम बखूबी कर सकता है तो होशियार नेता वह होता है जो आलाकमान के कहे काम को करने का प्रयास करता है, भले ही वह करने में असफल रहे।
भूपेश बघेल होशियार नेता है, वह जानते हैं कि आलाकमान खुश रहेगा तो पद भी मिलेगा और कद भी ब़ढ़ेगा। उनकी एक ही बड़ी असफलता रही कि वह दूसरी बार कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में नहीं जिता सके। इससे उनका महत्व आलाकमान की नजर में कम नहीं हुआ है। छत्तीसगढ़ का चुनाव हारने के बाद भी भूपेश बघेल को आलाकमान ने पंजाब का प्रभारी बनाया। उनको पंजांब में कांग्रेस को एकजुट व मजबूत करने का काम सौंपा गया था तथा होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस को जिताने का काम सौंपा गया था, भूपेश बघेल कांग्रेस काे कितना मजबूत पंजाब में कर सके यह तो पता नहीं लेकिन उपचुनाव में वह कांग्रेस को नहीं जिता पाए थे।
वह पंजाब आते जाते रहे लेकिन छत्तीसगढ़ में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी। कई लोगों को लगा कि भूपेश बघेल तो अब पंजाब में बिजी रहेंगे ऐसे लोगों की बहुत निराशा तब हुई जब भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ में भी अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी।जब भी बैठक हुई वह पार्टी के नेताओं को यह बताते रहे कि मैं ही सबसे ब़ड़ा नेता हूं, मैं ही यहां सरकार के खिलाफ सबसे ज्यादा सक्रिय रहता हूं।कई नेताओं ने अपने को बड़ा नेता बताने का प्रयास किया तो भूपेश बघेल के दांव पेंच के चलते उनको अपने कदम पीछे करने पड़े।उनको न चाहते हुए मानना पड़ा कि भूपेश बघेल ही बड़े नेता हैं। भूपेश बघेल बड़े नेता इसलिए हैं कि आलाकमान भी उनको बड़ा नेता समझकर बड़ी जिम्मेदारी देता है।
जब वह छत्तीसगढ़ के सीएम थे तो यूपी,असम व हिमाचल में चुनाव जितानेे की जिम्मेदारी आलाकमान ने सौपी थी तो असम व यूपी में तो कांग्रेस हार गई लेकिन हिमाचल में कांग्रेस जीती तो इसका कुछ श्रेय भूपेश बघेल को भी मिला था,इसके बावजूद यहां के भाजपा नेता यह कहते रहते हैं कि भूपेश बघेल को जिस राज्य में चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, वहां कांग्रेस का बंटाधार हो जाता है।
अब भूपेश बघेल को आलाकमान ने बिहार चुनाव का सीनियर आब्जर्वर बनाया है तो यह भूपेश बघेल व उनके समर्थकों के लिए बहुत बड़ी बात है, वह खुशी से फूले नहीं समा नहीं रहे हैं तो भाजपा नेता यह कहकर उनकी हवा निकाल रहे हैं कि भूपेश बघेल तो कांग्रेस व गांधी परिवार के एटीएम है, इसलिए उनको ऐसी जिम्मेदारी सौंपी जाती है। साथ ही वह यह भविष्यवाणी करना भी नहीं भूलते हैं कि अब तो बिहार में कांग्रेस का हारना तय है क्योंकि जिस राज्य में चुनाव जिताने भूपेश बघेल को भेजा गया है, वहां कांग्रेस हार जाती है।यह बात कितनी संच होती है तो इसका पता तो आने वाले समय में चलेगा।
कोई भी राजनीतिक दल तब ही मजबूत होता है,जब उसका संगठन बूथ लेवल तक मजबूत होता है। जब राजनीतिक दल बूथ लेवल पर वाकई मजबूत होता है तो ही राजनीतिक दल चुन...
हर क्षेत्र में बेहतर काम करने वालों को जनता पसंद करती है, उन पर गर्व करती है,उन पर भरोसा करती है, उनको बार बार सेवा व काम करने का मौका देती है।
राजनीतिक दलों की नींव होते हैं कार्यकर्ता। नींव मजबूत होती है तो राजनीतिक दल भी मजबूत होते हैं और चुनाव जीतने मेें आसानी होती है।
किसी भी राजनीतिक दल का कार्यकर्ता हो या नेता हो या पूर्व मंत्री हो जब अपनी सरकार होती है तो सबको अपनी सरकार से इतनी तो अपेक्षा तो होती ही है कि वह ...
हर राजनीतिक दल में बड़े नेताओं के गुट होते हैं। हर बड़े राजनीतिक दल में गुटबाजी होती है।