जशपुरनगर (वीएनएस)। जिला प्रशासन के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविकास मिशन (बिहान) के तहत् ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत् महिलाओं को प्रेरित कर स्व रोजगार से जोडऩे के लिए जिले में बेहतर कार्य किया जा रहा है। सभी विकासखंडो में स्व-सहायता समूह की महिलाओं को गोठानों में कई प्रकार की गतिविधियों में शामिल करके कार्य उपलब्ध कराया गया है। इस कड़ी में कासांबेल विकासखंड के कोटानपानी की ज्ञान गंगा स्व सहायता समूह की 10 महिलाएं छिन्दकांसा से टोकरी निर्माण का कार्य कर रही है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कांसाबेल विकासखण्ड के ज्ञान गंगा समूह की अध्यक्ष सुखमिला पैकरा व सचिव लक्ष्मी बाई को आजीविका क्षेत्र में छिंदकांसा से सामग्री बनाने के उत्कृष्ट कार्य के लिए राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया है। मुख्यमंत्री ने सभी समूह की महिलाओं को अपनी हार्दिक बधाई और शुभकानाएं देते हुए कहा कि दूरस्थ अंचल के क्षेत्र की स्व-सहायता समूह की महिलाए भी गौठान से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। महिलाएं छिंदकांसा से आकर्षक और सुन्दर टोकरी बना रही हैं। जिसकी मांग स्थानीय हाट-बाजारों के साथ-साथ अन्य राज्य में भी अधिक हैं। मुख्यमंत्री को कांसाबेल की बहनों ने छिंद बनी सामग्री भेंट की।
समूह में स्माईल आरती समूह, पूजा समूह, हरियाली समूह, ज्ञानगंगा समूह और तुलसी समूह शामिल है। महिलाएं छिन्दकासा से टोकरी बनाने के लिए पांच महिला समूह को वन विभाग की ओर से एक माह का प्रशिक्षण दिया गया है। इसके साथ ही जनपद पंचायत कांसाबेल की ओर से आरएफ से 15 हजार की राशि और सीआईएफ से 60 हजार रुपए की राशि की भी सुविधा उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने बताया कि महिलाओं के द्वारा हाथों से बनाई गई सुन्दर और आकर्षक टोकरी और अन्य सामानों का बाजारों में काफी मांग है। और हाट-बाजारों में समूह का सामान, हाथों हाथ विक्रय हो जाता है।
महिलाएं स्थानीय हाट-बाजारों के साथ ही रायपुर के हाट-बाजारों में भी विक्रय करने के लिए टोकरी भेजती है। जिससे उनको अच्छा खासा मुनाफा हो जाता है। समूह की महिलाओं ने बताया कि रायपुर के हाट-बाजार में विक्रय करने से दो दिन में लगभग 20 हजार रुपए का लाभ कमा लेती है। और प्रत्येक समूह को माह में लगभग 10-10 हजार का लाभ हो जाता है। उन्होंने बताया कि रोजगार से जुडऩे से उनको आर्थिक लाभ होने के साथ ही अपने परिवार की सहायता कर पा रही है। टोकरी बनाने के लिए कच्चा माल उन्हें स्थानीय स्तर पर ही आसानी से मिल जाता है।
कांसाबेल विकासखंड के आजीविका गतिविधियों के संचालनकर्ता बलराम सोनवानी बताया कि जशपुर जिला वनांचल जिला होने के कारण यहां बड़ी संख्या में छिन्द और कांसा शिल्प का पौधा आसानी से मिल जाता है। जिसका उपयोग टोकरी बनाने के लिए किया जाता है। महिलाओं को बाजार से कच्चा माल खरीदने के लिए बहुत कम आवश्यकता होती है। खर्च कम होने के कारण टोकरी विक्रय करने से बाजार से अच्छा खासा लाभ उनको मिल जाता है। सभी समूह की महिलाओं ने छत्तीसगढ़ शासन और जिला प्रशासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रशासन की ओर से उन्हें आर्थिक लाभ उपलब्ध कराया है। जिसके कारण वे आगे बढ़ सकी है।
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