डोंगरगढ़ (वीएनएस)। युग दृष्टा ब्रम्हांड के देवता संत शिरोमणि आचार्य प्रवर श्री विद्यासागर जी मुनिराज 18 फरवरी शनिवार तद्नुसार माघ शुक्ल अष्टमी पर्वराज के अंतर्गत उत्तम सत्य धर्म के दिन रात्रि 2.35 बजे ब्रम्हा में लीन हो गए।
हम सबके प्राणदाता राष्ट्रहित चिंतक परम पूज्य गुरुवेद ने विधिवत सल्लेखना बुद्धिपूर्वक धारण कर ली थी। पूर्ण जागृतावस्था में उन्होंने आचार्य पद का त्याग करते हुए ३ दिन का उपवास ग्रहण करते हुए आहार एवं संघ का प्रत्याख्यान कर दिया था। प्रत्याख्यान व प्रायश्चित देना बंद कर दिया था और अखंड मौन धारण कर लिया था। 6 फरवरी मंगलवार को दोपहर शौच से लौटने के उपरांत साथ के मुनिराजों को अलग भेजकर निर्यापक श्रमण मुनिश्री योग सागरजी से चर्चा करते हुए संघ संबंधी कार्यों से निवृत्ति ले ली और उसी दिन आचार्य पद का त्याग कर दिया था। उन्होंने आचार्य पद के योग्य प्रथम मुनि शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि श्री समयसागर जी महाराज को योग्य समझा और तभी उन्हें आचार्य पद दिया जाए ऐसी घोषणा कर दी थी, जिसकी विधिवत जानकारी कल दी जाएगी।
गुरुवरश्री का डोला चंद्रगिरी तीर्थ डोंगरगढ़ में दोपहर 1 बजे निकाला जाएगा एवं चंद्रगिरी तीर्थ पर ही पंचतत्व में विलीन किया जाएगा। सल्लेखना के अंतिम समय श्रावकश्रेडी अशोक जी पाटनी, आर.के. मार्बल किशनगढ़, राजा भाई सूरत, प्रभात जी मुंबई, अतुल शाह पुणे, विनोद बड़जात्या रायपुर, किशोरजी डोंगरगढ़ भी उपस्थित रहे।
प्रतिष्ठाचार्य- बा.ब्र.भैया साम्राट चन्द्रगिरी तीर्थ डोंगरगढ़ से।
-------
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कल शाम यहां अपने निवास कार्यालय 75 दिन तक मनाये जाने वाले देश के ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व के सफल आयोजन के सम्बन्ध में...
वित्त मंत्री ओ पी चौधरी से विगत सप्ताह बरमकेला ब्लॉक के वृद्ध वेणुधर पटेल और दिव्यांग अशोक साह ने मुलाकात कर बैसाखी और मोटराइज्ड सायकल की मांग किए ...
आबकारी आयुक्त सह सचिव आर संगीता के निर्देश के तारतम्य में कलेक्टर धर्मेश साहू एवं जिला आबकारी अधिकारी सोनल नेताम जिला सारंगढ़ -बिलाईगढ़ के मार्गदर्...