सांसद जनता का प्रतिनिधि होता है। जनता अपना दुख उसे बताती है तो उसे भी दुख होता है कि इन लोगों ने मुझको सांसद बनाया है और मेरे सांसद रहते इन लोगों को बड़ा दुख है,बड़ी परेशानी है।इनका दुख दूर करना मेरा काम है, बहुत से काम होते हैं जो सांसद के बस में नही होते हैं तो जो उनके बस में होता है, वह करते जरूर हैं।कई बार जनता सासंद को नहीं बताती है और सांसद को विपक्ष के किसी नेता के बयान या मीडिया मेें प्रकाशित किसी खबर से पता चलता है कि उसके क्षेत्र की जनता को यह बड़ा दुख है।सांसद को पता चले जनता को यह दुख है तो सांसद को संवेदनशीलता दिखानी पड़ती है कि जब जनता दुखी है, वह भी जनता के दुख से दुखी है। जनता के बहुत सारे दुख सांसद भी दूर नहीं कर सकता है क्योंकि कई दुख जनता को राज्य की सरकार के कारण होते हैं। सांसद को राज्य सरकार को बताना पड़ता है कि देखो मेरे क्षेत्र व राज्य की जनता इस बात से दुखी है।
सरकार को बताना और जनता को पता भी चले कि सांसद जनता के दुख से दुखी है तो अखबार में खबर छपानी पड़ती है कि सांसद दुखी है और सांसद ने जनता के दुख से दुखी होकर सरकार को पत्र लिखा है जिसमें बताया गया है कि जनता का दुख क्या है।सांसद बृजमोहन अग्रवाल तो पुराने जनप्रतिनिधि हैं। बरसों से जनता के नेता हैं। उनको जनता के दुख का पता जनता के बीच जाते रहने से चलते रहता है, वह इसका खुलासा पत्र के जरिए करते रहते हैं और जनता को अखबार पढ़ कर पता चलता रहता है कि पहले राजधानी में अपराध बढ़ जाने से दुखी थे,अब सांसद बृजमोहन अग्रवाल किस बात से दुखी हैं। जनता का दुख भले दूर न हो लेकिन जनता का पता चलता है कि उसका सांसद या विधायक उसके दुख से दुखी है तो जनता को बहुत अच्छा लगता है। हम दुखी हैं तो देखो हमारा सांसद भी हमारे दुख को लेकर हमसे ज्यादा दुखी है, इतना दुखी है कि उसने सरकार पत्र लिखा है।
छत्तीसगढ़ का एकमात्र शासकीय हृदयरोग संस्थान एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट मेकाहारा रायपुर में बायपास व ओपन हार्ट सर्जरी की सेवाएं लंबे समय से बंद हैं।यह तो वाकई गंभीर बात है क्योंकि एकमात्र संस्थान हैं तो गरीब बीमार लोगों को परेशानी तो होगी ही। सांसद ने सीएम व स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को पत्र में बताया है कि यह दुख का विषय है कि एकमात्र संस्थान में सर्जरी न होने से गरीब जनता निजी अस्पतालों में लूट का शिकार हो रही है।पहले भी इस ओर ध्यान आकृष्ट किया गया था,लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के चलते मरीजों को इस एकमात्र शासकीय संस्थान में तारीख पर तारीख दी जा रही है।कई मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं।कई गरीब मरीजों को इलाज के लिए अपना सब कुछ बेचना पड़ रहा है।सासंद ने सीएम से आग्रह किया है कि इस विषय पर उच्चस्तरीय बैठक कर अविलंब निर्णय लिया जाए ताकि गरीब जनता को शासकीय संस्थान में इलाज की सेवा उपलब्ध हो।
सांसद ने सीएम व स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर जनता के साथ अपना दुख भी बता दिया कि जनता के साथ मैं भी सांसद होने के नाते गरीबों के दिल का आपरेशन न होने से दुखी हूं। जनता का दुख दूर होगा तो सांसद का दुख भी दूर होगा। अभी राज्य में सुशासन तिहार का तीसरा चरण चल रहा है।सीएम भी जनता को क्या समस्या है,क्या शिकायत है, क्या दुख है, क्या परेशानी है जानने के लिए निकले हुए हैं।इस दौरान वह अचानक किसी भी जिले के किसी भी गांव में जा सकते है और लोगों से सीधे मिलकर बात कर सकते हैं,जान सकते हैं कि उनको क्या समस्या है। पहले दिन सीएम साय सक्ती जिले के बंदोरा गांव पहुंचे। गांव वाले खुश सीएम उनके पास आए हैं। उनकी समस्या तो हल होगी ही। सुशासन के तीसरे चरण में सीएम समाधान शिविर में शामिल होंगे, सरकार की योजनाओं की जानकारी लोगों से लेंगे कि उनको योजनाओं का लाभ मिल रहा या नहीं मिल रहा है. नहीं मिल रहा है तो क्यों नहीं मिल रहा है।
राज्य के सीएम को जमीनी हकीकत का पता रहना चाहिए इसलिए हर सीएम गांव-गांव जाकर जमीनी हकीकत का पता करता रहता है।सीएम को अफसरों को भरोसे सच का पता नहीं चलता है क्योंकि वह जमीनी हकीकत बताते नहीं है। जमीनी हकीकत बताने से सवाल पूछा जाएगा कि तुम क्या करते हो।जनता के बहुत सारे दुख तो अफसरों के काम न करने के कारण होते हैं।सांसद को भी जनता यही बताती है और सीएम को भी जनता यही बताती है।जरूरत बहुत सारे अफसरों को ठीक करने की है। ये बहुत मुश्किल काम होता है।यह बहुत सारे होते हैं और पांच साल में कोई भी सीएम इनको ठीक नहीं कर पाता है। पांच साल में सीएम बदल जाते है, लेकिन बहुत सारे अफसर नहीं बदलते हैं. इसलिए जनता का दुख हमेशा बना रहता है।सासंद पत्र लिखते रहते हैं और सीएम चौपाल लगाते रहते हैं।
राजनीति में अगर नुकसान न हो रहा हो और फायदा हो रहा हो तो नेता मान लेता है कि उससे गलती हुई है, उसकी पार्टी के नेताओं से गलती हुई है, उसकी पार्टी से...
राजनीति में पार्षद हो, विधायक हों वह सफल तब ही माने जातें हैं जब अपने इलाके में ज्यादा से ज्यादा काम करवाते हैं,ऐसे काम करवाते हैं जिससे लोगों को स...
जिला प्रशासन हो,पुलिस प्रशासन हो या निगम प्रशासन हो वह समस्या हल करने पर उतारू होते हैं तो वह वही करते हैं जो वह करते आए है, जो उनको करना अच्छा लगत...
कोई भी बड़ा काम करना होता है, उसकी तैयारी करनी पड़ती है, उसमें कई दिन लगते हैं। कई तरह के जरूरी काम करने होते हैं।इसमें वक्त लगता है।
सोमवार को जयपुर के मानसिंह स्टेडियम में राजस्थान रायल्स व गुजरात जायंटस के बीच खेले गए आईपीएल के २०-२० मैच में वह हुआ जिसकी कल्पना नहीं की गई थी