नई दिल्ली (वीएनएस)। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस बात पर जोर देते हुए कि भारतीय संसद ने न्याय और कानून के शासन को प्राथमिकता देते हुए कई कदम उठाए हैं, कहा कि ‘भारतीय दंड संहिता’ के स्थान पर ‘भारतीय न्याय संहिता’ लागू करके भारत ने न्याय की सर्वोच्चता स्थापित की है।
श्री बिरला ने भारत के संविधान की समावेशी और कल्याणकारी प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए उल्लेख किया कि भारतीय संविधान की भावना सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार करना एवं उन्हें समान अधिकार प्रदान करना है। साथ ही समान अवसर प्रदान करना, तथा समाज के हाशिए पर पड़े और पिछड़े वर्गों को ‘प्रगति की मुख्यधारा’ में एकीकृत करना भी है।
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